Wednesday, March 13, 2013

इनको मत दाद दीजिए !



चमड़ी चली  गयी , मगर दमड़ी नहीं गयी।
ये बेशरम हैं, इनको मत दाद दीजिए ॥
जो हुस्न पूजते हैं, होते हैं इंटेलिजेंट।
ऐसों को अपने पास ही,  आबाद कीजिए॥
नाजुक मिजाज वालों से होती बहुत गलती।
दुतकारिए न इनको, मधुर प्यार दीजिए ॥
गर हुस्न के गरूर से, उनके चढ़े तेवर।
माथा झुका कर , कीमती उपहार दीजिए ॥
-डॉ. रुक्म त्रिपाठी

1 comment:

  1. सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय -

    शुभकामनायें-

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